Dars-e-Quran

Dars-e-Quran

I must strive to reform my self and people of the entire world Insh'ALLAH

Saturday, March 20, 2021

Surah Al Baqrah Ayat no 215

 يَسۡـــَٔلُوۡنَكَ مَاذَا يُنۡفِقُوۡنَ ؕ قُلۡ مَآ اَنۡفَقۡتُمۡ مِّنۡ خَيۡرٍ فَلِلۡوَالِدَيۡنِ وَالۡاَقۡرَبِيۡنَ وَالۡيَتٰمٰى وَالۡمَسٰكِيۡنِ وَابۡنِ السَّبِيۡلِ‌ؕ وَمَا تَفۡعَلُوۡا مِنۡ خَيۡرٍ فَاِنَّ اللّٰهَ بِهٖ عَلِيۡمٌ


تم سے پوچھتے ہیں کیا خرچ کریں، تم فرماؤ جو کچھ مال نیکی میں خرچ کرو تو و ہ ماں باپ اور قریب کے رشتہ داروں اور یتیموں اور محتاجوں اور راہ گیر کے لئے ہے اور جو بھلائی کرو بیشک اللہ اسے جانتا ہے


वे आपसे पूछते हैं कि आपको क्या खर्च करना है। यह कहें: आप जो भी धार्मिकता में खर्च करते हैं, वह माता-पिता और निकट संबंधियों और अनाथों और जरूरतमंदों और पथ-प्रदर्शक के लिए है, और आप जो भी अच्छा करते हैं, निश्चित रूप से अल्लाह उसे जानता है।


Surah Al Baqrah 

Aayat No. 215

Monday, August 3, 2020

Madina aane wala Hai Mp3 Naat Shreef Asad Raza Attari

Sambhal jaa aye dile Muztar Madina aane wala Hai Mp3 Naat Shreef Asad Raza Attari
https://drive.google.com/drive/u/0/mobile/folders/1DJzfIbGXn3A-VA_sd4RmsYLH0Fjf-rj8?pli=1   

Sunday, August 2, 2020

Ya Rab Suye Madina

Ya Rab Suye Madina Mastana ban k Jaown MP3 Naat Shreef Asad Raza Attari

Friday, July 31, 2020

Jab koi gham sataye to madina Yaad kar lena.mp3

Jab koi gham sataye to madina Yaad kar lena Haji Asad raza Quadri MP3 Naat Shareef

Ya Rabbana Irham Lana (Tere Ghar Ke Phere ) | Safar e Hajj New Kalam 2019 | Dawateislami

Ya Rabbana Irham Lana (Tere Ghar Ke Phere ) | Safar e Hajj New Kalam 2019 | Dawateislami

Monday, June 29, 2020

सूरए बक़रह - पच्चीसवाँ रूकू (तर्जुमा तफ़्सीर के साथ )

सूरए बक़रह - पच्चीसवाँ रूकू (तर्जुमा तफ़्सीर के साथ )


तर्जुमा
Aayat 200
फिर जब अपने हज के काम पूरे कर चुको (13) तो अल्लाह का ज़िक्र करो जैसे अपने बाप दादा का ज़िक्र करते थे (14) बल्कि उससे ज़्यादा और कोई आदमी यूँ कहता है कि ऐ रब हमारे हमें दुनिया में दे, और आख़िरत में उसका कुछ हिस्सा नहीं

तफ़सीर
(13) हज के तरीक़े का संक्षिप्त बयान यह है कि हाजी आठ ज़िल्हज की सुबह को मक्कए मुकर्रमा से मिना की तरफ़ रवाना हो. वहाँ अरफ़ा यानी नवीं ज़िल्हज की फ़ज़्र तक ठहरे. उसी रोज़ मिना से अरफ़ात आए. ज़वाल के बाद इमाम दो ख़ुत्बे पढ़े. यहाँ हाजी ज़ोहर और असर की नमाज़ इमाम के साथ ज़ोहर के वक़्त में जमा करके पढ़े. इन दोनों नमाज़ों के बीच ज़ोहर की सुन्नत के सिवा कोई नफ़्ल न पढ़ी जाए. इस जमा के लिये इमाम आज़म ज़रूरी है. अगर इमाम आज़म न हो या गुमराह और बदमज़हब हो तो हर एक नमाज़ अलग अलग अपने अपने वक़्त में पढ़ी जाए. और अरफ़ात में सूर्यास्त तक ठहरे. फिर मुज़्दलिफ़ा की तरफ़ लौटे और जबले क़ज़ह के क़रीब उतरे. मुज़्दलिफ़ा में मग़रिब और इशा की नमाज़े जमा करके इशा के वक़्त पढ़े और फ़ज्र की नमाज़ ख़ूब अव्वल वक़्त अंधेरे में पढ़े. मुहस्सिर घाटी के सिवा तमाम मुज़्दलिफ़ा और बत्न अरना के सिवा तमाम अरफ़ात ठहरने या वक़ूफ़ की जगह है. जब सुबह ख़ूब रौशन हो तो क़ुरबानी के दिन यानी दस ज़िल्हज को मिना की तरफ़ आए और वादी के बीच से बड़े शैतान को सात बार कंकरियाँ मारे. फिर अगर चाहे क़ुरबानी के दिनों मे से किसी दिन तवाफ़े ज़ियारत करे. फिर मिना आकर तीन रोज़ स्थाई रहे और ग्यारहवीं ज़िल्हज के ज़वाल के बाद तीनों जमरात की रमी करे यानी तीनों शैतानों को कंकरी मारे. उस जमरे से शुरू करे जो मस्जिद के क़रीब है, फिर जो उसके बाद है, फिर जमरए अक़बा, हर एक को सात सात कंकरियाँ मारे, फिर अगले रोज़ ऐसा ही करे, फिर अगले रोज़ ऐसा ही. फिर मक्कए मुकर्रमा की तरफ़ चला आए. (तफ़सील फ़िक़ह की किताबों में मौजूद है)

(14) जाहिलियत के दिनों में अरब हज के बाद काबे के क़रीब अपने बाप दादा की बड़ाई बयान करते थे. इस्लाम में बताया गया कि यह शोहरत और दिखावे की बेकार बातें हैं. इसकी जगह पूरे ज़ौक़ शौक़ और एकग्रता से अल्लाह का ज़िक्र करो. इस आयत से बलन्द आवाज़ में ज़िक्र और सामूहिक ज़िक्र साबित होता है.

Tuesday, May 12, 2020

فضیلت اسمائے اہل بدر

فضیلت اسماے اہل بدر
چوروں سے گھر کی حِفاظَت (حکایت):
ایک بزرگ  سے منقول ہے کہ جب وہ حج کےاِرادے سے بیت اللہ شریف کی طرف 
روانہ ہونے لگے تو انہوں نے ایک کاغذ پر اہلِ بدرکے مبارک نام تحریر کر کے اسے دروازے کے اوپر کی چوکھٹ میں رکھ دیا۔ یہ مال دار آدمی تھے۔ ان کے جانے کے بعد چور چوری کی غرض سے ان  کے گھر  کی طرف آئے، جب وہ  چھت  پر چڑھے تو (گھر کے اندر سے) باتیں کرنے کی آواز اور ہتھیاروں کی جھنجھناہٹ ان کے کانوں میں پڑی چنانچہ وہ واپس چلے گئے ،پھر دوسری رات آئے تب بھی اسی طرح کیآوازیں سنائی دیں، اس کے بعد ایک بار پھر آئے 
اور وہی آوازیں سنائی دیں، اب وہ گھرمیں دا ِخل ہونے سے باز آ گئے۔ جب وہ بزرگ  حج سے واپس آئے تو چوروں کا سردار ان کے پاس آیا اور کہنے لگا: میں آپ کو اللہ پاک کی قسم دے کر پوچھتا ہوں، مجھے بتایے  کہ آپ گھر میں حِفاظَت کے کیا اتظامات کر کے گئے تھے؟ فرمایا: میں نے صرف اتنا کیا کہ ایک کاغذ پر اللہ پاک کایہ فرما ِن عظیم لکھا:
وَ لَا يَـُٔوْدُهٗ حِفْظُهُمَا١ۚوَ هُوَ الْعَلِيُّ الْعَظِيْمُ۰۰۲۵۵
اور تمام اہلِ بدرکے مبارک نام تحریر کیے ، یہی وہ چیزتھی جسے میں نے گھر میں رکھا تھا۔ 
یہ سن کر چوروں کے سردار نے کہا :مجھے یہ کافی ہے۔

بحوالہ:اہل بدر کے فضائل،ترجمہ و تلخیص محمد خرم شہزاد