सूरए बक़रह - बीसवाँ रूकू तर्जुमा - Dars-e-Quran

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Sunday, February 2, 2020

सूरए बक़रह - बीसवाँ रूकू तर्जुमा


【●बिस्मिल्लाहिर रहमानिर  रहीम●】
            
(  सूरए बक़रह - बीसवाँ रूकू तर्जुमा )           
आयत 01 से 04 तक

बेशक आसमानों (1)
और ज़मीन की पैदाइश और रात व दिन का बदलते आना और कश्ती कि दरिया में लोगों के फ़ायदे लेकर चलती है और वह जो अल्लाह ने आसमान से पानी उतार कर मुर्दा ज़मीन को उससे ज़िन्दा कर दिया और ज़मीन में हर क़िस्म के जानवर फैलाए  और हवाओ की गर्दिश (चक्कर)  और वह बादल कि आसमान व ज़मीन के बीच में हुक्म का बांधा है इन सब में अक़लमन्दों के लिये ज़रूर निशानियां हैं (164)  और कुछ लोग अल्लाह के सिवा  और माबूद बना लेते हैं कि उन्हें अल्लाह की तरह महबूब रखते हैं और ईमान वालों को अल्लाह के बराबर किसी की मुहब्बत नहीं, और कैसी हो अगर देखें ज़ालिम वह वक्त़ जबकि अज़ाब उनकी आंखों के सामने आएगा इसलिये कि सारा ज़ोर अल्लाह को है और इसलिये कि अल्लाह का अज़ाब बहुत सख़्त है (165) जब बेज़ार होंगे पेशवा अपने मानने वालों से (2)
और देखेंगे अज़ाब और कट जाएंगी उनसब की डोरें (3)(166)
और कहेंगे अनुयायी काश हमें लौट कर जाना होता (दुनिया में) तो हम उनसे तोड़ देते जैसे उन्होंने हमसे तोड़दी, यूंही अल्लाह उन्हें दिखाएगा उनके काम उन पर हसरतें होकर (4)
और वो दोज़ख से निकलने वाले नहीं(167)

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